गाँव के संचार माध्यम

Radio
रेडियो और मेरा साथ बचपन से लेकर आज तक कायम है, आज रेडियो की तस्वीर बहुत बदल चुकी है, आज जहा FM की धूम है वहां पहले लोग आकाशवाणी सुनते थे, टी.वी. के प्रचार प्रसार के बाद अवाश्वानी की लोग्प्रियता में बहुत कमी आई और फलतः रेडियो से स्रोत बहुत कम हो गए, लेकिन पिछले एक दसक में FM ने रेडियो को पुनर्जीवित किया है, बचपन की दिनों में मैंने आकाशवाणी और बीबीसी हिंदी को सुना करता था, हमारे गाँव और देहातों में रेडियो आज भी मनोरंजन और सुचना प्रसार का जीवित साधन है, आज का युग तेज़ी से बदल रहा है, लोग आज गाने इन्टरनेट के माध्यम से डाउनलोड कर या यु-टयूब जैसी साईट पर देख सकते है, वही पुराने ज़माने में ख़त लिख कर गाने की फरमाइश लोग किया करते थे, आज सब सरल होता जा रहा है, और इस सब का आधार इन्टरनेट, ऐसे हालत में रेडियो सुनना अप्रचलित होता जा रहा है, आज रेडियो में बदलाव की जरुरत महसूस होती नज़र अति है, रेडियो के नवीनीकरण कर इसे एक रोचक रूप में प्रस्तुत करने की आव्यसकता है, ग्रामीण जीवन से सम्बंधित कार्यक्रम जो प्रसारित किये जा रहे है वो काफी जागरूकता फैला रहे है, मेरा यह मानना है की हम इस दिशा में और कई कदम लेने चाहिए, हम आज संचार क्रांति के युग में है इन्टरनेट का प्रसार गावों तक कर और ग्रामीण लोगों में इसे उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए, सरकारी स्कूल, कॉलेजों में इसके व्यवहार को ठीक से लागू करने के लिए प्रयास करना चाहिए, इससे गावों के लिए एक बड़ी मदद होगी

टिप्पणी करे